तो खाओ टीचर की डाँट और सारे नोटस मिस करो वो अलग... आह कितने प्यारे दिन थे वे
कभी ट्यूब का खराब हो जाना और घर जा कर डाँट खाना कि अभी तो पेन ले कर दिया था, आज तोड़ कर भी ले आई
छोटे को देख पूरे छ महीने से एक ही पैन चला रहा है
फिर मुँह फुला कर बैठ जाना
अम्मा से जितने भी हाथ छुपाओ उन्हे दिख ही जाती थी स्याही से भरी उंगलियें
श्लोक सुनो अलग से और पिटो अलग से
लेकिन जो भी था बहुत प्यारा था
काश समय को लौटा पाते