Friday, September 7, 2012

गुल्लक

गुल्लक

कौन कौन इसमें पैसे जमा करता था

याद आया कुछ

कौन कौन जानबूझ कर इसे तोड़ देता था

याद आया कुछ

इसका नाम पता कुछ याद आया

कितना प्यारा था वो बचपन और उसकी यादे


Monday, September 3, 2012

ट्रांसिस्टर

ट्रांसिस्टर
याद आये किसी को वो दिन

जब लाइट न होने पर

बिनाका गीतमाला इसपर सुनते थे

आजकल

तो फोन ने हर चीज़ की कमी को पूरा कर दिया है

लेकिन क्या यादो को

फोन द्वारा पूरा किया जा सकता है

किसी पडोसी के घर जब गीत बजता था

तब कैसे मचलता था मन

ट्रांसिस्टर के लिए 


Sunday, September 2, 2012

चाचा चौधरी और साबू

चाचा चौधरी
अरी भागवान कही नजर नहीं आ रही
साबू
आया चाचा जी

किसी को चाचा चौधरी और साबू याद आये
कौन सी कॉमिक्स में देखे थे
और दिन में कितनी बार एक ही कॉमिक्स
को बार - बार पड़ते थे.......

रस्सी कूदना

रस्सी कूदना


याद है  आप सब को ये खेल
मेरी तो बहुत सी यादे ताज़ा हो गयी,
इसे भारत में ही नही विदेशो में भी खेला जाता है
जब गली में छोटे बच्चे खेलते थे इस खेल  को
थोड़ी देर देखने के बाद में भी अचानक उनके खेल
में शामिल हो जाती थी,
थोड़ी देर बाद कानो में किसी के पुकारने की आवाज आती
तो मुझे अचानक अपनी मम्मी की आवाज सुनाई  देती
और में फटाक से अपने घर वापिस पहुच जाती,
थोड़ी देर तक उनसे दांत पड़ती,
फिर क्या अगले दिन में फिर वही उन्ही बच्चो के साथ.........
रस्सी कूदना